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जादू -टोने जंतर -मंतर की नगरी में, हम पता पूछते घूम रहे अपने घर का/ तोता- मैना बनकर पिंजरों में बंद हुए,जब भी महलों के दरवाजों के हाथ छुए/अपने भविष्य की गिनी चुनी रेखाओं को, मुंह खुला मिला सब तरफ एक ही अज़गर का/दंगों वाली तक़दीर हमारे हिस्सों में,काटे कर्फ्यू के दिन नफ़रत के किस्सों में/सीधी-सीधी गलियों तक के तेवर बदले,जब शुरू हुआ फिर खेल यहाँ बाजीगर
का/फिर राज नर्तकी नाचेगी गलियारों में, कुछ आकर्षक मुद्राएँ लेकर नारों में/सम्मोहन के मंत्रों-संकेतों में खोकर,हम भूल जायेंगे घाव नुकीले पत्थर का /
सच न जाने इस हवा को किया हुआ /
तितलियों की देह पर चाकू चलाती यह हवा /
जुगनुओं को धर्म के रिश्ते बताती यह हवा/ किस दिशा ने इस हवा का तन छुआ / सच न जाने इस हवा को किया हुआ /
यह हवा जो कल फिरी हर एक माथा चूमती /
आज सडकों पर यहाँ कर्फ़्यु लगाती घूमती /लग गयी इस को किसी की बद्दुआ / सच न जाने इस हवा को किया हुआ /
इस हवा ने कातिलाना दाँव कुछ ऐसे चले /
मार डाला भाईचारे को गली में दिन ढले /अब कहें मामू किसे किस को बुआ /सच न जाने इस हवा को किया हुआ /